शिक्षकों का शोषण

 शिक्षक शब्द जैसे ही सुनाई देता है वैसे ही मन में बहुत से चेहरे सामने आने लगते है, जिन्होंने कभी ना कभी हमें किसी ना किसी क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन किया है और उनके लिए इतना सम्मान भाव आता है कि उसको बयान नहीं किया जा सकता।

पर जिस तरह से और जिन परिस्थितियों में उन लोगों ने हमारा मार्गदर्शन किया था उसके बारे में वही जानते है।

पर आज जब मैं एक शिक्षक से मिला तो सब कुछ जानकर उनकी परिस्थिति को अनुभव कर पा रहा हूं।

जिस तरह से समाज के इस सबसे सम्मानित व्यक्ति का शोषण हुआ है और हो रहा है उससे तो यही लगता है कि इनका सम्मान सिर्फ कहने भर को होता है।

इस प्राइवेट सेक्टर में शिक्षक की स्थिति एक गुलाम से भी बदतर है।इसका जीता जागता उदाहरण ये है -

गर्मियों कि छुट्टियों में स्कूल बच्चो से पहले ही फीस वसूल लेता है पर शिक्षक को उतने समय का वेतन नहीं दिया जाता है।

इनको ऐसे लगता है जैसे कि शिक्षक इनका गुलाम हो और गर्मियों कि छुट्टियों में शिक्षकों का कोई खर्चा नहीं होता है। ना तो वो बिजली का बिल, ना वो अपने बच्चों कि फीस देते है , ना ही वो खाना खाते है इस दौरान।

इस परिस्थिति के जिम्मेदार वैसे किसी ना किसी हद तक खुद शिक्षक भी है, क्योंकि ऐसे स्कूल में कोई भी ना जाए जो कि शिक्षकों का शोषण करते है। अगर किसी एक स्कूल में सभी ने जाने से मना कर दिया ना तो वो बाकी सभी स्कूलों के लिए उदहारण होगा।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि लोगों को जॉब कि जरूरत है पर अगर सभी साथ में आए तो सभी समस्याओं का निवारण हो सकता है।

जॉब कि समस्या को भी समाधान ही जाएगा और शोषण करने वालो कि भी अकल ठिकाने आ जाएगी।








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